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Chand Pagal Hai PDF

pages136 Pages
file size0.922 MB
languageHindi

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चाँद पागल है वाणी पर् काशन 4695, 21-ए, द(cid:301)रयागजं , नयी िद(cid:374)ी 110 002 शाखा अशोक राजपथ, पटना 800 004 फ़ोन: +91 11 23273167 फ़ै (cid:10328)स: +91 11 23275710 www.vaniprakshan.in [email protected] CHAND PAGAL HAI by Rahat Indori ISBN : 978-93-5000-469-2 Collection of Ghazals © राहत इ(cid:10340)दौरी सं(cid:10352)करण 2012 इस पु(cid:10352)तक के िकसी भी अंश को िकसी भी मा(cid:10339)यम म(cid:9993) पर् योग करने के िलए पर् काशक से िलिखत अनुमित लेना अिनवाय(cid:10002) है। मेहरा ऑफ़सेट, नयी िद(cid:374)ी-110002 म(cid:236) मुि(cid:323)त वाणी (cid:324)काशन का लोगो मक़बूल िफ़दा हुसेन क(cid:308) कूची से िकसी िकसी को ही िमलते ह(cid:9994) चाहने वाले! एक अ(cid:256)छे शायर म(cid:236) ख़ूिबय(cid:401) के साथ साथ ख़रािबयां भी बराबर क(cid:308) होनी चािहए, वरना िफर वह शायर कहा ँ रह जाएगा, वह तो िफर फ़(cid:301)र(cid:284)ता होकर रह जाएगा! और फ़(cid:301)र(cid:284)त(cid:401) को अ(cid:374)ाह ने शायरी के इनआम से मह(cid:391)म रखा ह।ै इस(cid:235)लए पूर े यक़(cid:308)न से कहा जा सकता ह ै िक राहत फ़(cid:301)र(cid:284)ते नह(cid:305) ह।(cid:239) वह तमाम इ(cid:270)सानी कमज़ो(cid:301)रय(cid:401) से लु(cid:266)फ़ लेना जानते ह!(cid:239) और एक अ(cid:256)छे और स(cid:344)े शायर क(cid:308) तरह वह अपनी कमज़ो(cid:301)रय(cid:401) का इक़रार भी करत(cid:236) ह!(cid:239) और ■जसके पास अपने गुनाह(cid:401) और कमज़ो(cid:301)रय(cid:401) के इक़रार क(cid:308) िह(cid:276)मत भी मौजूद हो, वह सचमुच बड़ा आदमी होता ह!ै और यह दिुनया का द(cid:286)तुर चला आ रहा ह ै क(cid:308) बड़ा आदमी ही बड़ा शायर होता आया ह!ै राहत ने अपनी शायरी के खर े सोने म(cid:236) कह(cid:305) कह(cid:305) अवामी ज(cid:291)बात के पीतल क(cid:308) िमलावट भी क(cid:308) ह,ै और ग़ज़ल को ख़ूबसूरत ज़ेवर(cid:401) म(cid:236) ढालने के (cid:235)लए तांबे और पीतल के टाँक(cid:401) क(cid:308) ज़(cid:390)रत पड़ती ह,ै वरना सोने के ढेल(cid:401) और टुकड़(cid:401) से ■स(cid:333)े तो ढाले जा सकते ह,(cid:239) ख़ूबसूरत ज़ेवर कभी नह(cid:305) बनाए जा सकते ह।(cid:239) अ(cid:256)छे और हो￱शयार सरा(cid:242)फ़ क(cid:308) ताजुरबेकार आँख(cid:236) ज़ेवर का हु(cid:286)न देखती ह,(cid:239) ताँबे और पीतल के टाँके तो मामूली कारीगर तलाश करते रहते ह।(cid:239) राहत ने ख़याल(cid:401) का एहतेराम करते हुए, और ग़ज़ल क(cid:308) (cid:335)ा■सक(cid:308) बुिनयाद से छेड़छाड़ िकए बग़रै , अपने लहज़े, श(cid:274)दावली और ￸ड(cid:251)सन क(cid:308) मदद से ■सफ़(cid:242) ग़ज़ल के फू ल ही नह(cid:305) (cid:235)खलाए ह (cid:239) ब(cid:278)(cid:280)क समाज के फू ल जसै े तलव(cid:401) म(cid:236) चुभे हुए जो काँटे िनकाले ह,(cid:239) यह उनक(cid:308) शायराना सज(cid:242)री का कमाल ह!ै और अपने घर आँगन म(cid:236) और शायरी काग़ज़ पर ही अपने असली (cid:391)प म(cid:236) नज़र आती ह।ै मुशायर,े महिफ़ल(cid:236) और (cid:286)टेज तो वो नुमाइशगाह(cid:236) ह (cid:239) जहाँ आप औरत और शायरी का मेकअपज़दा चेहरा देखते ह।(cid:239) शायरी गसै भरा वह गु(cid:274)बारा नह(cid:305) ह ै जो पलक झपकते आसमान से बात(cid:236) करने लगे! ब(cid:278)(cid:280)क शायरी तो ख़ु(cid:284)बू क(cid:308) तरह आिह(cid:286)ता आिह(cid:286)ता अपने पर(cid:401) को खोलती ह,ै हमारी सोच और िदल(cid:401) के दरवाज़े खोलती ह ै और (cid:391)ह क(cid:308) गहराइय(cid:401) म(cid:236) उतरती चली जाती ह।ै रहत ने ग़ज़ल क(cid:308) िम(cid:349)ी म(cid:236) अपने तज(cid:390)बात और िज़(cid:270)दगी के मसाएल को गँूधा ह ै यही उनका कमाल भी ह ै और उनका हुनर भी और अपने इसी कारनामे क(cid:308) वजह से वह देश िवदेश म(cid:236) जाने और पहचाने जाते ह।(cid:239) इदं ौर क(cid:308) पथरीली िम(cid:349)ी से उठी एक मु(cid:350)ी ख़ाक ने हज़ार(cid:401) िदल(cid:401) म(cid:236) शायरी के ख़ूबसूरत फू ल(cid:401) का गुलशन आबाद कर िदया! म(cid:239) इसी िम(cid:349)ी से उठा था बगुले क(cid:308) तरह और िफर इक िदन इसी िम(cid:349)ी म(cid:236) िम(cid:349)ी िमल गई कोलकाता 13.02.09 —मुन(cid:10349)वर राना अनुक्रम 1. हर मुसािफ़र है सहारे तेरे 2. ख़ु(cid:10350)क दिरयाओं म(cid:9993) ह(cid:10347)की सी रवानी और है 3. इससे पहले िक हवा शोर मचाने लग जाए 4. खड़े ह(cid:9994) मुझको ख़रीदार देखने के िलए 5. चेहर(cid:10528) के िलए आईने क़ु बान(cid:10002) िकए ह(cid:9994) 6. एक दो आसमान और सही 7. रात की धड़कन जब तक जारी रहती है 8. बैर दुिनया से क़बीले से लड़ाई लेते 9. आ(cid:10352)मां मुझसे ख़फ़ा है िक ज़मी रखता हँू 10. तो (cid:10328)या बािरश भी ज़हरीली हुई है 11. नफ़रत का बाज़ार न बन 12. आँख म(cid:9993) पानी रखो होट(cid:10528) प’ िचंगारी रखो 13. ख़ाक होना तय हुआ अब ख़ाकसारी के िलए 14. चराग़(cid:10528) को उछाला जा रहा है 15. ये बफ़(cid:10002) रात(cid:9993) भी बनकर अभी धुआँ उड़ जाएँ 16. ये हरस ू जो फ़लक मंज़र खड़े ह(cid:9994) 17. अब अपनी (cid:10486)ह के छाल(cid:10528) का कु छ िहसाब क(cid:10486)ँ 18. िज़(cid:10340)दगी उमर् से बड़ी तो नहीं 19. हाथ ख़ाली ह(cid:9994) ितरे शहर से जाते-जाते 20. मुझे डुबो के बहुत शम(cid:10002)सार रहती है 21. धपू बहुत है मौसम जल-थल भेजो न 22. िसफ़(cid:10002) खंजर ही नही ं आँख(cid:10528) म(cid:9993) पानी चािहए 23. नाम िल(cid:10328)खा था आज िकस-िकस का 24. िसफ़(cid:10002) सच और झटू की मीज़ान म(cid:9993) र(cid:10328)खे रहे 25. पहली शत(cid:10002) जुदाई है 26. मौसम की मनमानी है 27. हम(cid:9993) अब इ(cid:10350)क़ का चाला पड़ा है 28. हमने खुद अपनी रहनुमाई की 29. उसे अबके वफ़ाओं से गुज़र जाने की ज(cid:10347)दी थी 30. नीदं (cid:9993) (cid:10328)या-(cid:10328)या (cid:10354)वाब िदखाकर ग़ायब ह(cid:9994) 31. मौत की तफ़सील होनी चािहए 32. सफ़र म(cid:9993) जब भी इरादे जवान िमलते ह(cid:9994) 33. बढ़ गई है िक घट गई दुिनया 34. हौसले िज़(cid:10340)दगी के देखते ह(cid:9994) 35. नदी ने धपू से (cid:10328)या कह िदया रवानी म(cid:9993) 36. िकसने द(cid:10352)तक दी है िदल पर कौन है? 37. अगर िख़लाफ़ है होने दो जान थोड़ी है 38. उठी िनगाह तो अपने ही (cid:10486)-ब-(cid:10486) हम थे 39. मसअला (cid:10341)यास का यँ ू हल हो जाए

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